सदन्त प्राणायाम

सदन्त प्राणायाम के लाभ, निर्देश, और विधि – Steps and benefits of Sadanta pranayama in hindi

सदन्त प्राणायाम के बारे में – About Sadanta pranayam

सदन्त प्राणायाम करने से पहले यह आसन करें – Do these asana before sadanta pranayama

सदन्त प्राणायाम करने से पहले नीचे दिए गए निम्न योग आसनों को करने की सलाह दी जाती है, यदि आप चाहे तो पहले प्राणायाम और फिर योग आसनों को सकते है।

  1. शीतली प्राणायाम
  2. शीतकारी प्राणायाम।
  3. सूर्य नमस्कार।

सदन्त प्राणायाम करने की विधि – Sadanta pranayama instruction

निचे दी गयी सदन्त प्राणायाम करने की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े और वैसा ही करने की कोशिस करे।

चरण 1- सर्वप्रथम आप किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं जैसे की पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन या सुखासन और हथेलियों को जांघों पर रखें, इस स्थिति आपके साँस की गति सामान्य होगी।

चरण 2- अब अपने दांतों के ऊपरी सेट को दांतों के निचले सेट को छूने दें(ऊपर दी गयी तस्वीर से सहायता लें), इस स्थिति में अपने जीभ के सिरे को दांतों के पीछे रखें।

चरण 3- ठंडी हवा को धीरे-धीरे दांतों की दरार के माध्यम से श्वास कोअंदर भरें।ठंढी हवा को गले और फेफड़ों में महसूस करें।

चरण 4- मुँह को बंद कर गर्म हवा को दोनों नथुनों से धीरे-धीरे बाहर निकालें जाता है।

यह सदान्ता का एक चक्कर था इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 9 बार दोहराएं।

सदन्त प्राणायाम करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing Sadanta pranayama

सदन्त प्राणायाम करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें।

  1. इस प्राणायाम को करते समय ध्यान दे आपका ऊपरी दांत नीचे की दाँत पर हो।
  2. ध्यान दें सांस को छोड़ते समय मुंह बंद हो।

सदन्त प्राणायाम के फायदे –benefits of Sadanta pranayama in hindi

सदन्त प्राणायाम(sadanta pranayama benefits in hindi) के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिए गए हैं , यह आपके शरीर के कई अंगो को प्रभावित करता है और तनाव मुक्त रखता है।

  1. शारीर के मांसपेशियों में शीतलन के प्रभाव को प्रेरित करते हैं।
  2. प्राणायाम आपके आंख, कान और रक्त को शुद्ध करता हैं।
  3. इस प्राणायाम को करे से प्यास बुझती हैं, भूख को शांत करता हैं और संतुष्टि की भावना आती हैं।
  4. स्वाद कलिकाएँ और मुँह संवेदी होते हैं।
  5. दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं।
  6. त्वचा सम्बन्धी पुराने रोगों से बह छुटकारा मिलती हैं।

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सदन्त प्राणायाम के लिए प्रतिबंध – Restrictions for Sadanta pranayama

नीचे बीमारियों की सूची दी गई है, जो लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें सदन्त प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  1. संवेदनशील(sensitive) दांत वाले या जिनके दांत न हो वे लोग कृपया इस प्राणायाम को न करें।
  2. सर्दियों के मौसम में या ठंडी जलवायु में इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
  3. जिसे अस्थमा की समस्या हो तो सदन्त प्राणायाम न करें।
  4. यदि आपको जुकाम, खांसी, गले में दर्द या ब्रोंकाइटिस हो तो कृपया उस समय यह प्राणायाम न करें।

सदन्त प्राणायाम करने के बाद यह आसन करें – Do these asana after sadanta pranayama

  1. भस्त्रिका प्राणायाम।
  2. अनुलोम-विलोम।

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उज्जायी प्राणायाम

उज्जायी प्राणायाम के लाभ, निर्देश, और विधि – BENEFITS OF Ujjayi PRANAYAMA IN HINDI

उज्जायी प्राणायाम के बारे में – About Ujjayi pranayam in hindi

उज्जायी का अर्थ विजय होता है। उज्जायी(उद+जी) एक संस्कृत भाषा है। जहाँ “उद” का अर्थ बंधन, और “जी” का अर्थ जितना, से है। इस प्राणायाम को करते समय हम अपने सभी बंधनो अर्थात चिंता व् दोषों को दूर कर उन पर विजय की कोशिश करते हैं। उज्जायी प्राणायाम को करते समय जो कम्पन उत्पन होती उससे हमारे मन को शांति की अनुभूति होती है। उज्जायी प्राणायाम को ओसन ब्रेथ(ocean breath) भी कहते हैं क्यूंकि इस प्राणायाम को करते से साँस की आवाज ओसन यानि समुन्द्र की तरह आती है।

उज्जायी प्राणायाम करने से पहले यह आसन करें – Do these asana before  Ujjayi pranayama in Hindi

उज्जायी प्राणायाम करने से पहले नीचे दिए गए निम्न योग आसनों को करने की सलाह दी जाती है, यदि आप चाहे तो पहले प्राणायाम और फिर योग आसनों को सकते है।

  1. कपालभाति 

उज्जायी प्राणायाम करने की विधि –  Ujjayi pranayama instruction

निचे दी गयी उज्जायी प्राणायाम करने की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े और वैसा ही करने की कोशिस करे।

चरण 1- सर्वप्रथम आप किसी भी ध्यान मुद्रा जैसे की पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएं अपने रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, और अपने हाथों को अपनी जांघ पर रखें यदि आप चाहे तो मुद्रा भी रख सकते है।

चरण 2- सबसे पहले आप मुँह से एक लम्बी गहरी सांस ले और सांस छोड़ें, अब अपने मुँह को बंद कर तालू के पिछले सतह यानि गले को थोड़ा खुला रखें क्यूंकि इस प्राणायाम में मुँह बंद गले से साँस लेना और साँस छोड़ना है।

चरण 3- अब अपना ध्यान अपने गले पर लाएं सांस लेते और सांस छोड़ते समय आपको एक नरम हिसिंग ध्वनि सुनाई देगी, जैसे आप किसी कांच पर मुँह से भाँप(fogging) कर रहे हैं।

चरण 4- इसी प्रक्रिया को बार बार दोहराए, 10 से 15 मिनट या क्षमता अनुसार इस प्राणायाम को करें।

उज्जायी प्राणायाम करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing  Ujjayi pranayama in hindi

उज्जायी प्राणायम करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें।

  1. ध्यान दें इस प्राणायाम को करते समय नाक से सांस लें।
  2. ध्यान दें कि सांस गले से होते हुए फेफड़े तक जाये।

उज्जायी प्राणायाम के फायदे –benefits of Ujjayi pranayama in hindi

उज्जायी प्राणायाम(benefits of Ujjayi pranayama in hindi) के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिए गए हैं , यह आपके शरीर के कई अंगो को प्रभावित करता है और तनाव मुक्त रखता है।

  1. चिंता की समस्या से राहत मिलती है।
  2. यदि आप नियमित रूप से इस प्राणायाम को करते है तो अनिद्रा से छुटकारा मिलेगी।
  3. उज्जायी प्राणायाम करने से मन शांत रहता है।
  4. उच्च रक्तचाप यानी हाई बीपी की समस्या से राहत मिलती है
  5. थायराइड एवं गले से संबंधित संक्रमण की समस्या को दूर करता है।
  6. यदि आपको खर्राटे आते है तो इसका नियमित अभ्यास करें।

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उज्जायी प्राणायाम के लिए प्रतिबंध – Restrictions for Ujjayi pranayam

नीचे बीमारियों की सूची दी गई है, जो लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें उज्जायी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  1. यदि आपको हृदय रोग है तो कृपया योग प्रशिक्षक के साथ इसका अभ्यास करें।

उज्जायी प्राणायाम करने के बाद यह आसन करें – Do these asana after Ujjayi pranayam

  1. अनुलोम विलोम
  2. योग निद्रा।

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शीतकारी प्राणायाम

शीतकारी प्राणायाम के लाभ, निर्देश, और विधि –Sitkari pranayama benefits in hindi

शीतकारी प्राणायाम के बारे में – About sitkari pranayam

सीत्कारी’ शब्द का अर्थ ठंडक से हैं, इस प्राणायाम को करने से हमारे शरीर और मन को ठंडक पहुचती हैं और शरीर का तापमान को संतुलित रहता है। इस प्राणायाम को करते समय मुंह से ‘सीत्‌’ शब्द की आवाज निकालनी होती हैं, इसीलिए इस प्राणायाम को सीत्कारी प्राणायाम कहते हैं।

शीतकारी प्राणायाम करने से पहले यह आसन करें – Do these asana before sitkari pranayama

शीतकारी प्राणायाम करने से पहले नीचे दिए गए निम्न योग आसनों को करने की सलाह दी जाती है, यदि आप चाहे तो पहले प्राणायाम और फिर योग आसनों को सकते है।

  1. पश्चिमोत्तानासन।
  2. उत्थित पार्श्वकोणासन
  3. मत्स्यासन
  4. हलासन।

शीतकारी प्राणायाम करने की विधि – sitkari pranayama instruction

निचे दी गयी शीतकारी प्राणायाम करने की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े और वैसा ही करने की कोशिस करे।

चरण 1- सर्वप्रथम आप किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं जैसे की पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन या सुखासन और हथेलियों को जांघों पर रखें, इस स्थिति आपके साँस की गति सामान्य होगी।

चरण 2- अब अपनी जीभ की नोक को अंदर की ओर मोड़ें, इस स्थिति में मुड़ी हुई जीभ दांतों की दो पंक्तियों के बीच से बाहर निकलती है।

चरण 3- जीभ के दोनों किनारों के माध्यम से हवा को अंदर भरें(मुँह से सांस लें ) और पुरे मुँह एवं गले से फेफड़ों तक ठंठी हवा को महसूस करें।

चरण 4- अब अपने मुँह को बंद करें और दोनों नथुनों से धीरे-धीरे साँस छोड़ें, साँस छोड़ते समय हवा की गर्मी महसूस करें।

यह शीतकारी का एक चक्कर पूरा करता है, इसी तरह इस प्रक्रिया को 9 से 10 बार क्षमता अनुसार दोहराएं।

शीतकारी प्राणायाम करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing sitkari pranayama

शीतकारी प्राणायाम करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें।

  1. शीतकारी प्राणायाम करते समय ध्यान दें नाक से सांस न लें।
  2. इस प्राणायाम को करते समय सदैव ध्यान दें कि नाक से सांस छोड़ते समय मुँह को बंद रखें।

शीतकारी प्राणायाम के फायदे – sitkari pranayama benefits in hindi

शीतकारी प्राणायाम(sitkari pranayama benefits) के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिए गए हैं , यह आपके शरीर के कई अंगो को प्रभावित करता है।

  1. शीतकारी प्राणायाम करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
  2. नियमित अभ्यास से त्वचा सम्बन्धी रोग से राहत मिलती है।
  3. उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता हैं।
  4. यह प्यास को बुझाता है और भूख को शांत करता है।
  5. इस प्राणायाम को नियमित करने से तनाव से छुटकारा मिलता हैं।
  6. शीतकारी प्राणायाम करने से स्वाद कलियाँ और मुँह संवेदनशील होते हैं।

यह भी पढ़ें: योग निद्रा।

शीतकारी प्राणायाम के लिए प्रतिबंध – Restrictions for sitkari pranayama

नीचे बीमारियों की सूची दी गई है, जो लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  1. संवेदनशील(sensitive) दांत वाले या जिनके दांत न हो वे लोग कृपया इस प्राणायाम को न करें।
  2. सर्दियों के मौसम में या ठंडी जलवायु में इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
  3. जिसे अस्थमा की समस्या हो उसे शीतकारी प्राणायाम न करें।
  4. यदि आपको जुकाम, खांसी, गले में दर्द या ब्रोंकाइटिस हो तो कृपया उस समय यह प्राणायाम न करें।
  5. निम्न रक्तचाप(low blood pressure ) की समस्या हो तो कृपया यह प्राणायाम न करें।

शीतकारी प्राणायाम करने के बाद यह आसन करें – Do these asana after sitkari pranayama

  1. भ्रामरी प्राणायाम।
  2. भस्त्रिका प्राणायम।
  3. अनुलोम विलोम प्राणायाम।

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