“योग करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपकरण जो आपको चाहिए होंगे वो हैं आपका शरीर और आपका मन।“

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प्राणायाम के बारे में

प्राणायाम(प्राण+आयाम) एक संस्कृत भाषा है, जहाँ ‘प्राण’ का अर्थ श्वसन(हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, जिनमें से एक प्रमुख तत्व वायु है जिससे हमारा शरीर जीवित है) से और ‘आयाम’ का अर्थ विस्तार से है।प्राण का आयाम प्राणायाम है। पतंजलि के आठ अंगों वाले अष्टांग योगा का चौथा अंग “प्राणायाम” है।

प्राणायाम के कुछ नियम है जो नीचे दिए गए है, प्राणायाम करने से पहले उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें।

सूर्य नमस्कार के बारे में

सूर्य का शाब्दिक अर्थ वंदन या नमस्कार करना | सूर्य नमस्कार में आसन और प्राणायाम दोनों हैं। यह आसन और शीथिलीकरण व्यायाम का मिश्रण है।यह एक पूर्ण यौगिक व्यायाम है , इसको करने से शरीर में लोच आता है। इसको सूर्योदय (खाली पेट) और सूर्यास्त के समय (कम से कम खाना खाने के तीन घंटे बाद) निम्न मंत्रोंच्चारण के बाद किया जाता है। सूर्य नमस्कार की स्थिति में श्वसन पर ध्यान देना चाहिए |

योग निद्रा के बारे में

योग निद्रा सोने और जागने की बीच की अवस्था है। इसे शवासन भी कहते है , शव का मतलब मृत शरीर से है।अंग्रेजी में इसे क्रॉप्स और डी.आर.टी कहते है , डी.आर.टी का मतलब डीप रिलैक्सेशन टेक्नीक से है।

योग निद्रा करने से पहले आप नीचे दिए गए आसनो को करे।आसनो के करने के बाद योग निद्रा करने से आपको आराम महसूस होगा और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।शरीर में थकान का अनुभव नहीं होगा। योग निद्रा आसनो का अंतिम चरण है।

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