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प्राणायाम की विधि, निर्देश, और लाभ – प्राणायाम के प्रकार

प्राणायाम के बारे में – About Pranayam

प्राणायाम(प्राण+आयाम) एक संस्कृत भाषा है, जहाँ ‘प्राण’ का अर्थ श्वसन(हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, जिनमें से एक प्रमुख तत्व वायु है जिससे हमारा शरीर जीवित है) से और ‘आयाम’ का अर्थ विस्तार से है।प्राण का आयाम प्राणायाम है। पतंजलि के आठ अंगों वाले अष्टांग योगा का चौथा अंग “प्राणायाम” है।

प्राणायाम के नियम

प्राणायाम के कुछ नियम है जो नीचे दिए गए है, प्राणायाम करने से पहले उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  1. प्राणायाम आपको प्रसन्न व शांत मन से करना चाहिए।
  2. प्राणायाम करने से पहले मंत्रों उच्चारण या तीन बार ॐ का जप करें।
  3. जहां प्राणायाम कर रहे हो वातावरण शांत हो और खुली जगह हो।
  4. प्राणायाम आपको नित्यकर्म के बाद खाली पेट चाहिए।
  5. प्राणायाम सुबह के समय स्नान के बाद करना अत्यंत लाभकारी होता है, यदि आप प्राणयाम करने के बाद स्नान करते है तो 15 -20 मिनट बाद स्नान करें।
  6. किसी भी ध्यान मुद्रा(सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन, सुखासन) में बैठ कर आप प्राणायाम कर सकते है, यदि आपको बैठने में तकलीफ होती तो आप इसका अभ्यास कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते है।

प्राणायाम करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing Pranayam

प्राणायाम करते समय आपको कुछ बातें ध्यान में रखना चाहिए जो नीचे गए हैं।

  1. ध्यान दे प्राणायाम करते समय आपका मेरुदंड सीधा हो।
  2. प्राणायाम करते समय अपने स्वसन प्रक्रिया पे ध्यान दें, आपको सदैव नाँक से साँस लेना है न की मुँह से।
  3. ध्यान दे यदि प्राणायाम करते समय चक्कर आये तो आप योग प्रशिक्षक की सलाह लें।
  4. ध्यान दे प्राणायाम करते समय आपके चेहरे पर तनाव नहीं होना चाहिए।

प्राणायाम के प्रकार – Pranayama Types

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प्राणायाम के फायदे – Pranayam Benefits

प्राणायाम के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिये गए हैं, प्राणायाम से शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है।

  1. प्राणायाम के अभ्यास से आपका मन व शरीर शुद्ध होता है।
  2. प्राणायाम हमारे मानसिक विकारों को दूर करने में मदद करता है।
  3. प्राणायाम नियमित करने से आपका रक्त शुद्ध होता है।
  4. प्राणायाम नियमित करने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा व कब्ज आदि रोग नहीं होते।
  5. हमारे शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है।
  6. प्राणायाम करने से नाड़ियाँ शुद्ध व कुण्डलिनी जागृत होती है।
  7. फेफड़े में ऑक्सीजन पूरी तरह भरता है, जिससे फेफड़े की कार्य क्षमता बढ़ती है।

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