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शीतली प्राणायाम के लाभ, निर्देश, और विधि – shitali pranayama benefits in hindi

शीतली प्राणायाम के बारे में – About shitali pranayam

‘शीतली’ अर्थात “शीतल”, शीतल शब्द एक संस्कृत भाषा है, जिसका अर्थ से ठंडा है, शीतली प्राणायाम हमारे शरीर के तापमान को संतुलित रखता है, इस प्राणायाम से शरीर के साथ मन भी शांत रहता है।

शीतली प्राणायाम करने से पहले यह आसन करें – Do these asana before shitali pranayama

शीतली प्राणायाम करने से पहले नीचे दिए गए निम्न योग आसनों को करने की सलाह दी जाती है, यदि आप चाहे तो पहले प्राणायाम और फिर योग आसनों को सकते है।

  1. नौकासन।
  2. सर्वांगासन।
  3. सेतुबंधासन।

शीतली प्राणायाम करने की विधि – shitali pranayama instruction

निचे दी गयी शीतली प्राणायाम करने की विधि को ध्यानपूर्वक पढ़े और वैसा ही करने की कोशिस करे।

चरण 1- सर्वप्रथम आप किसी भी आसन में बैठ जाएं और हथेलियों को जांघों पर रखें।

चरण 2- अब अपने जीभ को मुंह से थोड़ा बाहर खींचें और इसे मोड़ें ताकि एक कौवा की चोंच जैसा हो।

चरण 3- धीरे-धीरे जीभ से बने चोंच के माध्यम से हवा को अन्दर भरे(साँस लें) और ठंडी हवा को गले से फेफड़ों के नीचे से गुजरते हुए महसूस करें।

चरण 4- अब अपने मुँह को बंद करें और धीरे-धीरे नथुने के माध्यम से सांस छोड़ें।

चरण 5- इसी तरह इस प्रक्रिया को 9 से 10 बार क्षमता अनुसार दोहराएं।

शीतली प्राणायाम करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing shitali pranayama

शीतली प्राणायाम करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें।

  1. शीतली प्राणायाम करते समय ध्यान दें नाक से सांस न लें।
  2. ध्यान दें नाक से सांस छोड़ते समय मुँह को बंद रखें।

शीतली प्राणायाम के फायदे – shitali pranayama benefits in hindi

शीतली प्राणायाम(shitali pranayama benefits in hindi) के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिए गए हैं , यह आपके शरीर के कई अंगो को प्रभावित करता है और तनाव मुक्त रखता है।

  1. यह प्यास को बुझाता है और भूख को शांत करता है।
  2. स्वाद कलियाँ और मुँह संवेदनशील होते हैं।
  3. शीतली प्राणायाम आंख, कान और खून को साफ करते हैं।
  4. शीतली प्राणायाम मांसपेशियों को विश्राम और अधिक से अधिक शीतलता के प्रभाव को प्रेरित करता है।
  5. शीतली प्राणायाम के नियमित अभ्यास से ठंड के कारण होने वाले एलर्जी को दूर किया जा सकता है।
  6. मानसिक शांति को प्रेरित करता हैं और तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
  7. यह प्राणायाम करने से सूक्ष्म तनाव से छुटकारा मिलता हैं।
  8. उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता हैं।
  9. रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है।
  10. शीतली प्राणायाम अपच और पेट की अम्लता को दूर करता है।
  11. शीतली प्राणायाम गुस्से को काबू करने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें: भस्त्रिका प्राणायाम।

शीतली प्राणायाम के लिए प्रतिबंध – Restrictions for shitali pranayam

नीचे बीमारियों की सूची दी गई है, जो लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें शीतली प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

  1. यदि आपको निम्न रक्तचाप(low blood pressure ) की समस्या हो तो कृपया यह प्राणायाम न करें।
  2. यदि आपको जुकाम, खांसी, गले में दर्द या ब्रोंकाइटिस हो तो कृपया उस समय यह प्राणायाम न करें।
  3. सर्दियों में या ठंडी जलवायु में इस प्राणायाम को बचे।
  4. यदि अस्थमा की समस्या हो तो शीतली प्राणायाम न करें।

शीतली प्राणायाम करने के बाद यह आसन करें – Do these asana after shitali pranayam

  1. गोमुखासन
  2. भुजंगासन
  3. ऊर्ध्व मुख श्वानासन।

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