उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि, निर्देश, और लाभ – Utthita Parsvakonasana Benefits and Steps
उत्थित पार्श्वकोणासन के बारे में – About Utthita Parsvakonasana
उत्थित पार्श्वकोणासन (उत्थित +पार्श्व+ कोण +आसन) यह एक संस्कृत भाषा है, जहाँ ‘उत्थित’ का अर्थ विस्तृत(Extended), ‘पार्श्व’ का अर्थ बगल(Side), ‘कोण’ का अर्थ कोना(Angle ) और ‘आसन’ का अर्थ मुद्रा(Posture ) से है।अंग्रेजी में इसे एक्सटेंडेड साइड एंगल पोज़(Extended Side Angle Pose) कहते कहते हैं।
उत्थित पार्श्वकोणासन करने से पहले यह आसन करें – Do these asana before Utthita Parsvakonasana
उत्थित पार्श्वकोणासन करने से पहले नीचे दिए गए निम्न योग आसनों को करने की सलाह दी जाती है। इन आसनो को करने से आपके शरीर में लचीलापन आता है, तथा आपके शरीर के मांसपेशियों का तापमान बढ़ाता है।जिससे शरीर में जर्क आने की संभावना नहीं रहती है।
उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि – Utthita Parsvakonasana Steps
उत्थित पार्श्वकोणासन करने की विधि नीचे दी गयी है, जिसे ध्यानपूर्वक करने से पहले पढ़ें। इससे आपको उत्थित पार्श्वकोणासन करते समय आसानी होगी।
- सीधे खड़े हो जाएं अब अपने दाएं पैर को दांये पैर से 1. 5 (डेढ़ ) मीटर के अंतर तक फैलाये।
- दाहिने पैर को शरीर के दाहिनी ओर मोड़ें ताकि पैर के पंजे शरीर से बहरी तरफ हो।
- साँस छोड़ते हुए, दाहिने घुटने को 90 डिग्री मोड़ें और अपने धड़ को आराम से जांघ पर रखें , दाहिने हाथ को दाहिने पैर के बगल में ज़मीन पर रखें।
- साँस लेते हुए , बाईं बाह को सर के ऊपर फैलाएं, इस स्थिति में आपका बाइसेप्स बाएं कान को छूना चाहिए अब आप बाएं हाथ की उंगलियों को देखें।
- सामान्य साँस ले और एक मिनट के लिए मुद्रा को बनाए रखें।
- धीरे-धीरे सांस लें और खड़े हो जाये।
- यही प्रक्रिया अब बाएं तरफ से दोहराएं।
उत्थित पार्श्वकोणासन करते समय ध्यान दें – Pay Attention when doing Utthita Parsvakonasana
उत्थित पार्श्वकोणासन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें।
- ध्यान दे अंतिम स्थिति में, जांघ और पैर के बीच एक समकोण होना चाहिए।
- दूसरे घुटने को मोड़ना नहीं चाहिए।
- आपकी छाती सामने की तरफ होनी चाहिए ,आगे या पीछे न झुंके।
- दोनों पैरों के पंजे पूरी तरह से जमीन के संपर्क में होने चाहिए।
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उत्थित पार्श्वकोणासन के फायदे – Utthita Parsvakonasana Benefits
उत्थित पार्श्वकोणासन के अनेक फायदे जो नीचे निम्नलिखित दिये गए हैं ।यह आसन करने से आपका शरीर स्वस्थ और पाचन क्रिया ठीक रहती है।।
- इसे करने से छाती चौड़ी होती है।
- जांघों को मजबूत बनाता है।
- कमर दर्द से राहत मिलती है।
- आतों के क्रमाकुंचन(peristalsis) को उत्तेजित करता है, जिससे खाना आसानी से पच जाता है।
- यह आसन रोजाना करने से कमर की चर्बी घटती है।
- यह आसन मादा में प्रजनन अंग को मजबूत बनता है।
- गर्दन संबंधी(स्पोंडिलोसिस) को दूर करता है।
उत्थित पार्श्वकोणासन के लिए प्रतिबंध – Restrictions for Utthita Parsvakonasana
नीचे बीमारियों की सूची दी गई है, जो लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें उत्थित पार्श्वकोणासन नहीं करना चाहिए।
- हृदय संबंधी समस्याएं हो तो इस आसन को न करें।
- यदि आपको सिर दर्द और अनिद्रा की समस्या हो तो इस आसान को न करें।
उत्थित पार्श्वकोणासन करने के बाद यह आसन करें – Do these asana after Utthita Parsvakonasana
शुरुआती लोगों के लिए उत्थित पार्श्वकोणासन करने का सर्वश्रेष्ठ सुझाव – Best suggested tips, Utthita Parsvakonasana for beginners
अगर आप योगा नियमित नहीं करते तो आपके शरीर में अकड़न रहती है जिसकी वजह से आसान करने में तकलीफ महसूस होती है। शुरुआती दौर में इसलिए आपको सरल तरीके से आसन करना चाहिए , इससे आपको सहजता महसूस होगी। उत्थित पार्श्वकोणासन करने का सरल तरीका निचे दिया गया है।
- सीधे खड़े हो जाएं अब अपने दाएं पैर को दांये पैर से 1. 5 (डेढ़ ) मीटर के अंतर तक फैलाये।
- दाहिने पैर को शरीर के दाहिनी ओर मोड़ें ताकि पैर के पंजे शरीर से बहरी तरफ हो।
- साँस छोड़ते हुए, दाहिने घुटने को 90 डिग्री मोड़ें और अपने दाहिने हाथ को कोहनी के पास से मोड़ कर दाहिने जांघ पर रखें।
- साँस लेते हुए अपने बाईं बांह को ऊपर उठाये , अपने हाथ को उँगलियों को छत की तरफ रखे।
- अब आप बाएं हाथ की उंगलियों को देखें।
- यदि आपको ऊपर देखने में तकलीफ महसूस हो रही हो तो आप अपनी गर्दन सीधी रख सकते हैं।
- सामान्य साँस ले और अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा को बनाए रखें।
- धीरे-धीरे सांस लें और खड़े हो जाये।
- यही प्रक्रिया अब बाएं तरफ से दोहराएं।
यदि आप प्रतिदिन इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो आपका शरीर लचीला और मजबूत होगा जिससे आपको कठिन से कठिन आसनों को करने में सहजता महसूस होगी।
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